भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"दाखिला / त्रिलोक महावर" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=त्रिलोक महावर |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> झील के किनारे …)
(कोई अंतर नहीं)

14:06, 13 अगस्त 2011 का अवतरण

झील के किनारे
बने स्कूल में
एक बार फिर
दाख़िला ले लिया है मैंने

जूट के बस्ते में
एक नोट बुक, और कुछ नोट्स लिए
चल रहा हूँ कोलतार की सड़क पर
किसी ने नहीं थाम रखी है उँगली
न ही कोई लड़की पीछे से आकर
मारती है धक्का
न ही शर्माकर उठाती है
गिरा दुपट्टा
लेवेण्डर और पासपोर्ट की ख़ुशबू का
अहसास ही नहीं होता है

औचक ही आकर नहीं झगड़ती है
प्रिंसिपल की मोटी लड़की
चिकौटियों के दिन लद गए
किसी भी टीचर ने डाँट नहीं पिलाई
कोई हो हल्‍ला भी नहीं है क्लास में ।