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"सब दुःखों को लील ले जो वो दवा पैदा करें / बल्ली सिंह चीमा" के अवतरणों में अंतर

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21:44, 19 अगस्त 2011 के समय का अवतरण

सब दुखों को लील ले जो वो दवा पैदा करें ।
एक-सा बाँटे जो सबको वो ख़ुदा पैदा करें ।

खौल उट्ठे ख़ून जिसका देखकर नंगे बदन,
अपनी-अपनी आँख में ऐसी हया पैदा करें ।

अब भी लू में जल रहे हैं जिस्म अपने, साथियो !
आइए, मिल-जुल के कुछ ठंडी हवा पैदा करें ।

दोस्तों के रूप में दुश्मन भी अपने बीच हैं,
उनके अपने दरमियाँ अब फ़ासला पैदा करें ।

तख़्त पर भी बैठकर जो सर्वहारा ही रहे,
कोख से संघर्ष की वो रहनुमा पैदा करें ।

एकता हथियार हो औ’ मन में हो सच्ची लगन,
मंज़िलों तक जाए जो वो रास्ता पैदा करें ।