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"इस मौसम में / अक्षय उपाध्याय" के अवतरणों में अंतर
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16:31, 26 अगस्त 2011 का अवतरण
यह मौसम है फूलों का
और बग़ीचे मेंचलती हैं बन्दूकें
कहाँ हैं वे चिड़ियाए~म जो
घोंसलों के लिए खर लिए बदहवास भागती हैं
आसमान में !
यह मौसम है गाने क
और मेरे घर में भूख नाचती है
कहाँ हैं वे स्वर जो
आदमी को बड़ा करने के लिए अपना रक्त लिए
हवाओं में छटपटाते हैं !
यह मौसम है
बच्चों के लिए बड़े होने का
स्वप्न देखने का
और उनकी नींद में युद्ध शुरू होता है
कहाँ हैं वे बच्चे जो
लड़ रहे आदमी को उसके स्वप्नों के साथ
ज़मीन पर टिकाएँगे ।
मौसम के ख़िलाफ़ ऐसा क्यों होता है
यह जानने के लिए
कवि जब-जब मोर्चे पर
बहाल होता है
मार दिया जाता है
लेकिन
कभी नहीं मरती कविता
दरअसल
वह सिर्फ़ अनुकूल मौसम की बहाली होती है
एक कवि के मरने का मतलब है
पृथ्वी पर असंख्य कविताओं का जन्म ।