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18:50, 28 अगस्त 2011 का अवतरण
1.
सोचती हूँ
ऐसा क्या कहा था तुम्हें
तुमने पृथ्वी की समस्त हरियाली
डाल दी मेरी गोद में
2.
एक अँधेरी राह से होकर मैं
चली जाना चाहती थी अकेली
तुम क्यों लेकर गए
लहू की तरह लाल गुलाब की राह से
मूल असमिया से अनुवाद : दिनकर कुमार