भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मन करता है / रमेश तैलंग" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=रमेश तैलंग | |रचनाकार=रमेश तैलंग | ||
− | |संग्रह= | + | |संग्रह= उड़न खटोले आ / रमेश तैलंग; इक्यावन बालगीत / रमेश तैलंग |
}} | }} | ||
{{KKCatBaalKavita}} | {{KKCatBaalKavita}} |
02:42, 18 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण
मन करता है,
अपना बचपन-
रख दूँ ताले में ।
नटखटपन, ये शैतानी,
ये हँसी खिलखिलाती ।
रूठा-रूठी, मान-मनौवल,
सपनों की थाती ।
मन करता है,
यह सारा धन-
रख दूँ ताले में ।
क्या जानूँ, कल
चोर चुरा ले चुपके से आकर ।
आ जाएँ आँखों में मेरी
आँसू घबरकर ।
तब कैसे मुँह
दिखलाऊँगा
भरे उजाले में ?
मन करता है
अपना बचपन
रख दूँ ताले में ।