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"फुटकर शेर /निश्तर ख़ानक़ाही" के अवतरणों में अंतर
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धड़का था दिल कि प्यार का मौसम गुज़र गया | धड़का था दिल कि प्यार का मौसम गुज़र गया | ||
हम डूबने चले थे कि दरिया उतर गया | हम डूबने चले थे कि दरिया उतर गया | ||
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+ | सारे जग क़ी प्यास बुझाना इतना आसाँ काम है क्या | ||
+ | पानी को भी भाप में ढल कर बादल बनना पड़ता है | ||
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+ | कहता किसी से क्या क़ी कहाँ घूमता फिरा | ||
+ | सब लोग सो गए तो मैं चुपके से घर गया | ||
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13:50, 19 सितम्बर 2011 का अवतरण
मैं भी तो इक सवाल था हल ढूँढते मेरा
ये क्या कि चुटकियों में उड़ाया गया मुझे
अब ये आलम है कि मेरी ज़िंदगी के रात-दिन
सुबह मिलते हैं मुझे अख़बार में लिपटे हुए
हवाएँ गर्द की सूरत उड़ा रहीं हैं मुझे
न अब ज़मीं ही मेरी है ,न आसमान मेरा
धड़का था दिल कि प्यार का मौसम गुज़र गया
हम डूबने चले थे कि दरिया उतर गया
सारे जग क़ी प्यास बुझाना इतना आसाँ काम है क्या
पानी को भी भाप में ढल कर बादल बनना पड़ता है
कहता किसी से क्या क़ी कहाँ घूमता फिरा
सब लोग सो गए तो मैं चुपके से घर गया