भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मौसम ठहर जाए / ओम निश्चल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=ओम निश्चल | |रचनाकार=ओम निश्चल | ||
− | |संग्रह= | + | |संग्रह=शब्द सक्रिय हैं |
}} | }} | ||
{{KKCatNavgeet}} | {{KKCatNavgeet}} |
23:16, 20 सितम्बर 2011 का अवतरण
मेघ का, मल्हार का
मौसम ठहर जाए,
कुछ करो-
यह प्यार का मौसम ठहर जाए ।
जल रहा मन आज
सुधियों के अंगारों में,
दर्द कुछ हल्का हुआ है
इन फुहारों में,
रुप का, अभिसार का
मौसम ठहर जाए ।
कुछ करो-
यह प्यार का मौसम ठहर जाए ।
बादलों की गंध में
खोया हुआ है मन,
हो रही शिराओं में
सावनी सिहरन
जीत का, यह हार का
मौसम ठहर जाए,
कुछ करो-
यह प्यार का मौसम ठहर जाए ।
तुम सुनाओ ग़ज़ल कोई
गीत हम गाऍं,
क्या पता हम-तुम
कहीं फिर दूर हो जाऍं,
मान का, मनुहार का
मौसम ठहर जाए,
कुछ करो-
यह प्यार का मौसम ठहर जाए ।