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"एक ही समंदर / नवनीत पाण्डे" के अवतरणों में अंतर

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<poem>सारे समंदर
 
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मेरे अंदर
 
मेरे अंदर

04:34, 28 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण

सारे समंदर
मेरे अंदर
सारी नदियां भागती सी आती है
टकराती है
और सूख जाती है
समंदर की नहीं कोई एक नदी
फिर भी पाले है हर नदी
एक समंदर
एक ही समंदर