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"बोध / दिविक रमेश" के अवतरणों में अंतर

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आत्महत्याओं की
 
आत्महत्याओं की
  
श्रॄंखला की ।
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श्रंखला की ।

09:44, 11 सितम्बर 2007 का अवतरण

ओ मेरे युग-देवता!

क्षमा करना

यदि मैं प्रकट करता हूँ

तुम्हारे प्रति

अनास्था ।


क्योंकि

मेरे युग-राक्षस ने

तुम्हें विजित कर

सिखा दिया है जीना ।


अन्यथा मैं भी

बन जाता एक कड़ी

आत्महत्याओं की

श्रंखला की ।