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"कुछ छोटी कविताएँ / महमूद दरवेश" के अवतरणों में अंतर

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('अगर लौट सकूं शुरूआत तक कुछ कम अक्षर चुनूंगा अपने नाम...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
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अगर जैतून के तेल जानते होते उन हाथों को  
 
जिन्होनें रोपा था उन्हें,
 
जिन्होनें रोपा था उन्हें,
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याद है मुझे आलमारी में रखी अपने पिता की तम्बाकू ।
  
आसमान पीला क्यूं पड़ जाता है शाम को ?
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इतना छोटा नहीं हूँ कि पूरी कर सकूं यह कविता.
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12:08, 18 अक्टूबर 2011 के समय का अवतरण

1.
अगर लौट सकूँ शुरूआत तक
कुछ कम अक्षर चुनूँगा अपने नाम के लिए

2.
अगर जैतून के तेल जानते होते उन हाथों को
जिन्होनें रोपा था उन्हें,
आँसुओं में बदल गया होता उनका तेल
 
3.
आसमान पीला क्यूँ पड़ जाता है शाम को ?
क्यूँकि तुमने पानी नहीं दिया था फूलों में ।
  
4.
मैं भूल गया बड़ी घटनाएँ और एक विनाशकारी भूकंप
याद है मुझे आलमारी में रखी अपने पिता की तम्बाकू ।

5.
इतना छोटा नहीं हूँ कि बहा ले जाएँ मुझे शब्द
इतना छोटा नहीं हूँ कि पूरी कर सकूँ यह कविता ।