भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सपना जो नहीं होता / नंदकिशोर आचार्य" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 15: पंक्ति 15:
 
तुम्हें
 
तुम्हें
 
सच तुम ही हो मेरा ।
 
सच तुम ही हो मेरा ।
 
+
2009
+
30 मई, 2009
 
</poem>
 
</poem>

10:18, 28 नवम्बर 2011 के समय का अवतरण

झूठा है वह सच
सपना नहीं जो होता—
सपने में ही जीना
सपने को चाहे सच होना है उसका

झूठ को जियो कितना ही
सच नहीं होता वह

जिऊँ चाहे सपने-सा
तुम्हें
सच तुम ही हो मेरा ।

30 मई, 2009