भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सपना सही / नंदकिशोर आचार्य" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नंदकिशोर आचार्य |संग्रह=केवल एक प...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
पंक्ति 6: पंक्ति 6:
 
<poem>
 
<poem>
 
सपना सही तुम्हारा
 
सपना सही तुम्हारा
              मैं
+
                  मैं
 
रहोगे देखते जब तक
 
रहोगे देखते जब तक
 
मेरे बन्दी रहोगे तुम—
 
मेरे बन्दी रहोगे तुम—
 
देखोगे नहीं तो भला
 
देखोगे नहीं तो भला
 
कैसे रह सकोगे ईश्वर
 
कैसे रह सकोगे ईश्वर
              तुम मेरे
+
                तुम मेरे
  
 
मुझ ही में है तुम्हारी
 
मुझ ही में है तुम्हारी
              मुक्ति
+
                मुक्ति
  
 
बाँध पाता है जो सपना
 
बाँध पाता है जो सपना

11:23, 29 नवम्बर 2011 के समय का अवतरण

सपना सही तुम्हारा
                   मैं
रहोगे देखते जब तक
मेरे बन्दी रहोगे तुम—
देखोगे नहीं तो भला
कैसे रह सकोगे ईश्वर
                तुम मेरे

मुझ ही में है तुम्हारी
                 मुक्ति

बाँध पाता है जो सपना
मुक्त भी वही करता है ।

26 मई 2009