भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"वासना का ज्वार / दुष्यंत कुमार" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दुष्यंत कुमार |संग्रह=सूर्य का स्व...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
छो ("वासना का ज्वार / दुष्यंत कुमार" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (बेमियादी) [move=sysop] (बेमियादी))) |
(कोई अंतर नहीं)
|
11:17, 30 नवम्बर 2011 के समय का अवतरण
क्या भरोसा
लहर कब आए?
किनारे डूब जाएँ?
तोड़कर सारे नियंत्रण
इस अगम गतिशील जल की धार—
कब डुबोदे क्षीण जर्जर यान?
(मैं जिसे संयम बताता हूँ)
आह! ये क्षण!
ये चढ़े तूफ़ान के क्षण!
क्षुद्र इस व्यक्तित्व को मथ डालने वाले
नए निर्माण के क्षण!
यही तो हैं—
मैं कि जिनमें
लुटा, खोया, खड़ा खाली हाथ रह जाता,
तुम्हारी ओर अपलक ताकता सा!
यह तुम्हारी सहज स्वाभाविक सरल मुस्कान
क़ैद इनमें बिलबिलाते अनगिनत तूफ़ान
इसे रोको प्राण!...
अपना यान मुझको बहुत प्यारा है!
पर सदा तूफ़ान के सामने हारा है!