भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"पाँच जोड़ बाँसुरी / ठाकुरप्रसाद सिंह" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
|रचनाकार=वेणु गोपाल
+
|रचनाकार=ठाकुरप्रसाद सिंह
|संग्रह=चट्टानों का जलगीत/ वेणु गोपाल
+
|संग्रह=वंशी और मादल/ ठाकुरप्रसाद सिंह
 
}}
 
}}
  

23:20, 20 सितम्बर 2007 का अवतरण

पाँच जोड़ बाँसुरी

बासन्ती रात के विह्वल पल आख़िरी

पर्वत के पार से बजाते तुम बाँसुरी

पाँच जोड़ बाँसुरी


वंशी स्वर उमड़-घुमड़ रो रहा

मन उठ चलने को हो रहा

धीरज की गाँठ खुली लो लेकिन

आधे अँचरा पर पिय सो रहा

मन मेरा तोड़ रहा पाँसुरी

पाँच जोड़ बाँसुरी