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"आज पहली बात / भारत भूषण" के अवतरणों में अंतर

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आज पहली बात पहली रात साथी
 
आज पहली बात पहली रात साथी

13:59, 18 दिसम्बर 2011 का अवतरण

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आज पहली बात पहली रात साथी

चाँदनी ओढ़े धरा सोई हुई है
श्याम अलकों में किरण खोई हुई है
प्यार से भीगा प्रकृति का गात साथी
आज पहली बात पहली रात साथी

मौन सर में कंज की आँखें मुंदी हैं
गोद में प्रिय भृंग हैं बाहें बँधी हैं
दूर है सूरज, सुदूर प्रभात साथी
आज पहली बात पहली रात साथी

आज तुम भी लाज के बंधन मिटाओ
खुद किसी के हो चलो अपना बनाओ
है यही जीवन, नहीं अपघात साथी
आज पहली बात पहली रात साथी