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"पसीने का टीका / रमेश रंजक" के अवतरणों में अंतर

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खाकर मार समय की मेरी बोझिल पेशानी
 
खाकर मार समय की मेरी बोझिल पेशानी
 
अगर नहीं गा पाई मेरी टूटन का संगीत
 
अगर नहीं गा पाई मेरी टूटन का संगीत
                                  कुछ नहीं
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मेरा गीत न गा पाया यदि दर्द आदमी का
 
मेरा गीत न गा पाया यदि दर्द आदमी का
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भाषा न बोल पसया हारी-थकी झुर्रियों की
 
भाषा न बोल पसया हारी-थकी झुर्रियों की
लाख मिले मुझको बाज़ारू जीत
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लाख मिले मुझको बाज़ारू जीत  
                                  कुछ नहीं
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23:07, 21 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण

मेरा चेहरा
अगर नहीं बन पाया मेरा गीत
                          कुछ नहीं

चेहरा जिस पर धूल पड़ी है झीनी-झीनी-सी
जिसके नीचे आग दबी है नई रोशनी की

खाकर मार समय की मेरी बोझिल पेशानी
अगर नहीं गा पाई मेरी टूटन का संगीत
                                      कुछ नहीं

मेरा गीत न गा पाया यदि दर्द आदमी का
अगर नहीं कर पाया थमे पसीना का टीका

भाषा न बोल पसया हारी-थकी झुर्रियों की
लाख मिले मुझको बाज़ारू जीत
                                       कुछ नहीं