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कही कोई तो रास्ता कही जो जाता होगा
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मदिरा 
  
माना मंजिल पता नहीं कही आइना होगा
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आज मदिरा पीने को निकला
  
युही नहीं थी उसके चहरे पे उदाशी इतनी
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घर से एक पीने वाला
  
जरुर वो कही किसी हादशे से गुजरा होगा
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              वोहो तो ढूंढ रहा है मदिरा
  
गमो का बोझ उठाये तपती रेत पे चलना
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              गली गली और चौपला
  
...तुम्ही कहो इससे बड़ा क्या होसला होगा
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उस ने पुछा मुझ योगी से
  
यक़ीनन में बखुदी में भी पहचान लूँगा तुझे
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कहा मेलेगा मुझ को हाला     
  
जब कभी कही मेरा तुझसे सामना होगा
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              मै भी बोला उस जोगी से
  
में जेसा भी हू बेअदब बेतमीज ठीक हू
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            क्यों ढूंढ रहा है तू हाला 
  
ऊपर वाला मेरा हिसाब भी रखता होगा
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व्हओ बोला अब मुझ से 
  
माना मंजिल पता नहीं कही आइना होगा
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मांग रहा मेरा मन प्याला
  
                    अनीता मलिक .
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            उस मन की प्यास भुझाने को
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          ढूंढ़  रहा हूँ मै हाला
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उस मन को बार बार दर्पण में
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दिकथा है एक मदिरा का प्याला
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            उस मदिरा में घुल मिलने को
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          वंचित होता मन मेरा 
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मदिरा की अब रहा में दिक्था
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मुझको अपना जीवन सारा
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          उस जीवन को पास बुलाने
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          को ढूंढ रहा हूँ मै हाला
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अब तू मुझ को हाला देदे
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या पहुचा दे मधुशाला
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        क्यों ले रहा तू परीक्षा
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        मुझ को पिने मे हाला
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हाला मेरा जीवन अमृत
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और मृतु  हाले का प्याला
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        पीने दे तू मुझ को अमृत
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        और पिने दे मुझ को हाला
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अब उस जोगी की बाते सुनकर
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हाले को मन में रख कर
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" याद आ गए मुझ को बच्चन और अब मै बोला उस जोगी से"
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                    रहा पकड़ तू एक चला चल
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                    पा जयेगा मधुशाला
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आशुतोष शर्मा
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9997060956

13:06, 22 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण

मदिरा

आज मदिरा पीने को निकला

घर से एक पीने वाला

              वोहो तो ढूंढ रहा है मदिरा
              गली गली और चौपला

उस ने पुछा मुझ योगी से

कहा मेलेगा मुझ को हाला

             मै भी बोला उस जोगी से
            क्यों ढूंढ रहा है तू हाला  

व्हओ बोला अब मुझ से

मांग रहा मेरा मन प्याला

           उस मन की प्यास भुझाने को
          ढूंढ़  रहा हूँ मै हाला

उस मन को बार बार दर्पण में दिकथा है एक मदिरा का प्याला

           उस मदिरा में घुल मिलने को
          वंचित होता मन मेरा   

मदिरा की अब रहा में दिक्था

मुझको अपना जीवन सारा

          उस जीवन को पास बुलाने
          को ढूंढ रहा हूँ मै हाला 

अब तू मुझ को हाला देदे

या पहुचा दे मधुशाला

        क्यों ले रहा तू परीक्षा 
        मुझ को पिने मे हाला 

हाला मेरा जीवन अमृत

और मृतु हाले का प्याला

       पीने दे तू मुझ को अमृत 
        और पिने दे मुझ को हाला 

अब उस जोगी की बाते सुनकर

हाले को मन में रख कर

" याद आ गए मुझ को बच्चन और अब मै बोला उस जोगी से"

                   रहा पकड़ तू एक चला चल 
                   पा जयेगा मधुशाला 

आशुतोष शर्मा

9997060956

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