भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"अनुभव / ज़्यून तकामी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 5: पंक्ति 5:
 
}}
 
}}
 
[[Category:जापानी भाषा]]
 
[[Category:जापानी भाषा]]
 +
<poem>
 +
मैं लेटा हुआ था
 +
औ' दीवार पर लगे आईने में
 +
झलक रहा था बग़ीचा
  
लेट कर जब मैंने
+
तभी कोशिश की मैंने
 +
यह देखने की—
  
दर्पण में झाँका
+
कैसे समा जाती है हरियाली
 +
इस आईने में
  
सोचा कि देखूंगा
+
अचानक
 +
आकाश की चमक से
 +
मेरी आँखें चौंधियाईं
 +
और मुझे चक्कर आने लगा
  
हरापन बाँस का
+
मेरी जान निकल गई
 +
सिर घूम रहा था
 +
और बेतहाशा
 +
दर्द हो रहा था मेरे सिर में
  
दर्पण में दिखाई दिया मुझे
+
'''रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
 
+
</poem>
नीला प्रतिबिम्ब आकाश का ।
+
 
+
 
+
ऎसा लगा अचानक
+
 
+
जैसे किसी ने
+
 
+
आँखों पर मेरी किया हो वार
+
 
+
बेहोश हो गया मैं
+
 
+
सिर चकराने लगा मेरा
+
 
+
कठोर था, बेहद कठोर
+
 
+
अनुभव का यह प्रहार ।
+

01:41, 8 जनवरी 2012 का अवतरण

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: ज्यून तकामी  » संग्रह: पहाड़ पर चढ़ना चाहते हैं सब
»  अनुभव

मैं लेटा हुआ था
औ' दीवार पर लगे आईने में
झलक रहा था बग़ीचा

तभी कोशिश की मैंने
यह देखने की—

कैसे समा जाती है हरियाली
इस आईने में

अचानक
आकाश की चमक से
मेरी आँखें चौंधियाईं
और मुझे चक्कर आने लगा

मेरी जान निकल गई
सिर घूम रहा था
और बेतहाशा
दर्द हो रहा था मेरे सिर में

रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय