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− | और बल्गारी भाषाओं में भी अनुवाद प्रकाशित हो चुवेफ हैं। कविता वेफ अतिरिक्त वे साहित्य, सिनेमा, संचार माध्यम और संस्कृति वेफ सवालों पर नियमित लेखन भी करते हैं। मंगलेश कविताओं में सामंती बोध एव पूँजीवादी छल-छद्म दोनों का प्रतिकार है। वे यह प्रतिकार किसी शोर-शराबे वेफ साथ नहीं बल्कि प्रतिपक्ष में एक सुंदर सपना रचकर करते हैं। उनका सौंदर्यबोध सूक्ष्म है और भाषा पारदर्शी। | + | मंगलेश जी की कविताओं वेफ भारतीय भाषाओं वेफ अतिरिक्त अंगे्रशी, रूसी, जर्मन, स्पानी, पोल्स्की और बल्गारी भाषाओं में भी अनुवाद प्रकाशित हो चुवेफ हैं। कविता वेफ अतिरिक्त वे साहित्य, सिनेमा, संचार माध्यम और संस्कृति वेफ सवालों पर नियमित लेखन भी करते हैं। मंगलेश कविताओं में सामंती बोध एव पूँजीवादी छल-छद्म दोनों का प्रतिकार है। वे यह प्रतिकार किसी शोर-शराबे वेफ साथ नहीं बल्कि प्रतिपक्ष में एक सुंदर सपना रचकर करते हैं। उनका सौंदर्यबोध सूक्ष्म है और भाषा पारदर्शी। |
12:27, 3 फ़रवरी 2012 का अवतरण
मंगलेश डबराल का जन्म सन् 1948 में टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड के कापफलपानी गाँव में हुआ और शिक्षा-दीक्षा हुई देहरादून में।
दिल्ली आकर हदी पेट्रियट, प्रतिपक्ष और आसपास में काम करने वेफ बाद वे भोपाल में भारत भवन से प्रकाशित होने वाले पूर्वग्रह में सहायक संपादक हुए। इलाहाबाद और लखनउ से प्रकाशित अमृत प्रभात में भी कुछ दिन नौकरी की। सन् 1983 में जनसत्ता अखबार में साहित्य संपादक का पद सँभाला। कुछ समय सहारा समय में संपादन कार्य करने वेफ बाद आजकल वे नेशनल बुक ट्रस्ट से जुड़े हैं। मंगलेश डबराल वेफ चार कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं- पहाड़ पर लालटेन / मंगलेश डबराल , घर का रास्ता / मंगलेश डबराल, हम जो देखते हैं / मंगलेश डबराल और आवाज भी एक जगह है / मंगलेश डबराल । साहित्य अकादेमी पुरस्कार, पहल सम्मान / मंगलेश डबराल से सम्मानित मंगलेश जी की ख्याति अनुवादक वेफ रूप में भी है।
मंगलेश जी की कविताओं वेफ भारतीय भाषाओं वेफ अतिरिक्त अंगे्रशी, रूसी, जर्मन, स्पानी, पोल्स्की और बल्गारी भाषाओं में भी अनुवाद प्रकाशित हो चुवेफ हैं। कविता वेफ अतिरिक्त वे साहित्य, सिनेमा, संचार माध्यम और संस्कृति वेफ सवालों पर नियमित लेखन भी करते हैं। मंगलेश कविताओं में सामंती बोध एव पूँजीवादी छल-छद्म दोनों का प्रतिकार है। वे यह प्रतिकार किसी शोर-शराबे वेफ साथ नहीं बल्कि प्रतिपक्ष में एक सुंदर सपना रचकर करते हैं। उनका सौंदर्यबोध सूक्ष्म है और भाषा पारदर्शी।