गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
नायाब नगीना/ शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान
3 bytes removed
,
16:09, 13 मार्च 2012
मुट्ठी भर
ईमान बचा है
उसकेा
उसको
भी मिल रही सज़ा है,
एक यही ताज्जुब लगता है
फटा नहीं क्यों अब तक सीना ।
Sheelendra
66
edits