Changes

{{KKCatNavgeet}}
<Poem>
सोच रहा चुप बैठा धुनिया  भीड़-भाड़ वह-चहल-पहल वह-
बंद द्वार का
एक महल वह
सन्नाटा
अंधियारों ने
सब कुछ पता पाटा
कहाँ -कहाँ से
टूटी पुनिया  
</poem>
273
edits