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चुप बैठा धुनिया / अवनीश सिंह चौहान
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15:59, 18 मार्च 2012
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<Poem>
सोच रहा
चुप बैठा धुनिया
भीड़-भाड़ वह
-
चहल-पहल वह
-
बंद द्वार का
एक महल वह
सन्नाटा
अंधियारों ने
सब कुछ
पता
पाटा
कहाँ -कहाँ से
टूटी पुनिया
</poem>
Abnish
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