भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"शेर-1 / असर लखनवी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=असर लखनवी }} Category: शेर <poem> अच्छा है डू...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
पंक्ति 5: पंक्ति 5:
 
[[Category: शेर]]
 
[[Category: शेर]]
 
<poem>
 
<poem>
अच्छा है डूब जाये सफीना हयात का,
+
अच्छा है डूब जाये सफीना<sup>1</sup> हयात<sup>2</sup> का,
उम्मीदो-आरजूओं का साहिल नहीं रहा।
+
उम्मीदो-आरजूओं का साहिल<sup>3</sup> नहीं रहा।
 
+
1.सफीना -  नाव, नौका, किश्ती 2.हयात-जिन्दगी 3.साहिल - किनारा, तट।
+
+
 
*****
 
*****
 
+
  अपने वो रहनुमा<sup> 4</sup> हैं कि मंजिल तो दरकनार<sup>5</sup>,
  अपने वो रहनुमा हैं कि मंजिल तो दरकनार,
+
 
  कांटे रहे - तलब में बिछाते चले गए।
 
  कांटे रहे - तलब में बिछाते चले गए।
 
1.रहनुमा - मार्ग दिखाने वाला, प्रथ-प्रदर्शक 2. दरकनार -  एक तरफ,अलग
 
 
 
*****
 
*****
 
  अपने ही दिल के आग में शम्अ पिघल गई,
 
  अपने ही दिल के आग में शम्अ पिघल गई,
  शम्ए-हयात मौत के सांचे मे ढल गई।
+
  शम्ए-हयात<sup>6</sup> मौत के सांचे मे ढल गई।
 
+
*****
1.शम्ए-हयात -  जिन्दगी की शम्अ।
+
इक फूल है अंदेशा नहीं जिसको खिजाँ <sup>7</sup>का,
+
*****इक फूल है अंदेशा नहीं जिसको खिजाँ का,
+
 
  वह जख्म जिसे आप ने दामन से हवा दी।
 
  वह जख्म जिसे आप ने दामन से हवा दी।
 
1.खिजाँ - पतझड़ की ऋतु
 
 
 
*****
 
*****
  
  इतना तो सोच जालिम जौरो-जफा से पहले,
+
  इतना तो सोच जालिम जौरो-जफा<sup>8</sup> से पहले,
 
  यह रस्म दोस्ती की दुनिया से उठ जायेगी।
 
  यह रस्म दोस्ती की दुनिया से उठ जायेगी।
 +
*****
 +
</poem>
 +
1.सफीना -  नाव, नौका, किश्ती 2.हयात-जिन्दगी 3.साहिल - किनारा, तट।
 +
 +
4रहनुमा - मार्ग दिखाने वाला, प्रथ-प्रदर्शक 5. दरकनार -  एक तरफ,अलग
  
  1.जौरो-जफा - अत्याचार, अन्याय, जुल्मो-सितम  
+
  6.शम्ए-हयात -  जिन्दगी की शम्अ। 7.खिजाँ - पतझड़ की ऋतु 
 
+
8जौरो-जफा - अत्याचार, अन्याय, जुल्मो-सितम
</poem>
+

19:19, 21 मार्च 2012 का अवतरण

अच्छा है डूब जाये सफीना1 हयात2 का,
उम्मीदो-आरजूओं का साहिल3 नहीं रहा।


 अपने वो रहनुमा 4 हैं कि मंजिल तो दरकनार5,
 कांटे रहे - तलब में बिछाते चले गए।


 अपने ही दिल के आग में शम्अ पिघल गई,
 शम्ए-हयात6 मौत के सांचे मे ढल गई।


इक फूल है अंदेशा नहीं जिसको खिजाँ 7का,
 वह जख्म जिसे आप ने दामन से हवा दी।



 इतना तो सोच जालिम जौरो-जफा8 से पहले,
 यह रस्म दोस्ती की दुनिया से उठ जायेगी।

1.सफीना - नाव, नौका, किश्ती 2.हयात-जिन्दगी 3.साहिल - किनारा, तट।

4रहनुमा - मार्ग दिखाने वाला, प्रथ-प्रदर्शक 5. दरकनार -  एक तरफ,अलग 
6.शम्ए-हयात -  जिन्दगी की शम्अ। 7.खिजाँ - पतझड़ की ऋतु  
8जौरो-जफा - अत्याचार, अन्याय, जुल्मो-सितम