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"सूखा / वीरेन डंगवाल" के अवतरणों में अंतर

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सूखा पिता के हृदय में था
 
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भाई की आँखों में
 
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बहन के निरासे क्षोभ में था सूखा
 
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माता थी
 
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कुएँ की फूटी जगत पर डगमगाता इकहरा पीपल
 
कुएँ की फूटी जगत पर डगमगाता इकहरा पीपल
 
 
चमकाता मकड़ी के महीन तार को
 
चमकाता मकड़ी के महीन तार को
 
 
एक ख़ास कोण पर
 
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आँसू की तरह ।
 
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सूर्य के प्रचण्ड साम्राज्य तले
 
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इस भरे-पूरे उजाड़ में
 
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केवल कीचड़ में बच रही थी नमी
 
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नामुमकिन था उसमें से भी निथार पाना
 
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चुल्लू भर पानी ।
 
चुल्लू भर पानी ।
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16:51, 11 अप्रैल 2012 के समय का अवतरण

सूखा पिता के हृदय में था
भाई की आँखों में
बहन के निरासे क्षोभ में था सूखा
माता थी
कुएँ की फूटी जगत पर डगमगाता इकहरा पीपल
चमकाता मकड़ी के महीन तार को
एक ख़ास कोण पर
आँसू की तरह ।

सूर्य के प्रचण्ड साम्राज्य तले
इस भरे-पूरे उजाड़ में
केवल कीचड़ में बच रही थी नमी
नामुमकिन था उसमें से भी निथार पाना
चुल्लू भर पानी ।