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"अपनी तस्वीर / मंगलेश डबराल" के अवतरणों में अंतर

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यह एक तस्वीर है
 
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जिसमें थोड़ा-सा साहस झलकता है
 
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और ग़रीबी ढँकी हुई दिखाई देती है
 
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उजाले में खिंची इस तस्वीर के पीछे
 
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इसका अँधेरा छिपा हुआ है
 
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इस चेहरे की शांति
 
इस चेहरे की शांति
 
 
बेचैनी का एक मुखौटा है
 
बेचैनी का एक मुखौटा है
 
 
करुणा और क्रूरता परस्पर घुलेमिले हैं
 
करुणा और क्रूरता परस्पर घुलेमिले हैं
 
 
थोड़ा-सा गर्व गहरी शर्म में डूबा है
 
थोड़ा-सा गर्व गहरी शर्म में डूबा है
 
 
लड़ने की उम्र जबकि बिना लड़े बीत रही है
 
लड़ने की उम्र जबकि बिना लड़े बीत रही है
 
 
इसमें किसी युद्ध से लौटने की यातना है
 
इसमें किसी युद्ध से लौटने की यातना है
 
 
और ये वे आँखें हैं
 
और ये वे आँखें हैं
 
 
जो बताती हैं कि प्रेम जिस पर सारी चीज़ें टिकी हैं
 
जो बताती हैं कि प्रेम जिस पर सारी चीज़ें टिकी हैं
 
 
कितना कम होता जा रहा है
 
कितना कम होता जा रहा है
 
  
 
आत्ममुग्धता और मसखरी के बीच
 
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कई तस्वीरों कि एक तस्वीर
 
कई तस्वीरों कि एक तस्वीर
 
 
जिसे मैं बार-बार खिंचवाता हूँ
 
जिसे मैं बार-बार खिंचवाता हूँ
 
 
एक बेहतर तस्वीर खिंचने की
 
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निरर्थक-सी उम्मीद में
 
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(1990-1993)
 
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17:34, 12 अप्रैल 2012 के समय का अवतरण

यह एक तस्वीर है
जिसमें थोड़ा-सा साहस झलकता है
और ग़रीबी ढँकी हुई दिखाई देती है
उजाले में खिंची इस तस्वीर के पीछे
इसका अँधेरा छिपा हुआ है

इस चेहरे की शांति
बेचैनी का एक मुखौटा है
करुणा और क्रूरता परस्पर घुलेमिले हैं
थोड़ा-सा गर्व गहरी शर्म में डूबा है
लड़ने की उम्र जबकि बिना लड़े बीत रही है
इसमें किसी युद्ध से लौटने की यातना है
और ये वे आँखें हैं
जो बताती हैं कि प्रेम जिस पर सारी चीज़ें टिकी हैं
कितना कम होता जा रहा है

आत्ममुग्धता और मसखरी के बीच
कई तस्वीरों कि एक तस्वीर
जिसे मैं बार-बार खिंचवाता हूँ
एक बेहतर तस्वीर खिंचने की
निरर्थक-सी उम्मीद में

(1990-1993)