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"गर्मी-1 / सुधा गुप्ता" के अवतरणों में अंतर

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तन्दूत तपा
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तन्दूर तपा
 
धरती रोटी सिंकी
 
धरती रोटी सिंकी
दहक लाल
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दहके लाल
 
2
 
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आग का गोला
 
आग का गोला
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हज़ार टुकड़ों में  
 
हज़ार टुकड़ों में  
 
पोखर-दिला
 
पोखर-दिला
 
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धूप से तपा
 
धूप से तपा
 
देह पर फफोले
 
देह पर फफोले
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सोने चली धरती
 
सोने चली धरती
 
लपटें ओढ़
 
लपटें ओढ़
 
 
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नीम-बेहोश
 
नीम-बेहोश
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होंठों जमीं पपड़ी
 
होंठों जमीं पपड़ी
 
वैशाखी धरा
 
वैशाखी धरा
 
 
 
 
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प्यासी चिड़िया
 
प्यासी चिड़िया
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प्यास  बूझने वाले  
 
प्यास  बूझने वाले  
 
मीत लापता  
 
मीत लापता  
 
 
 
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सती का शव
 
सती का शव

23:12, 22 अप्रैल 2012 का अवतरण


1
तन्दूर तपा
धरती रोटी सिंकी
दहके लाल
2
आग का गोला
फट गया सुबह
बिखरे शोले
3
सूखे गले से
कलप रही हवा
घूँट पानी के
4
लपटों -घिरा
अगिया बैताल-सा
लू का थपेड़ा
5
आग की गुफ़ा
भटक गई हवा
जली निकली
6
फटा पड़ा है
हज़ार टुकड़ों में
पोखर-दिला
 7
धूप से तपा
देह पर फफोले
ले, दिन फिरा
8
कुपिता धरा
अगन-महल में
आसन-पाटी
9
धूप दरोगा
गश्त पर निकला
आग-बबूला
10
जेठ की आँच
हवाएँ खौलती हैं
औटते जीव
11
पानी की धुन
सूखे गले भटके
राजा मछेरा*
12
धधक रही
लाल पीली कनेर
सरकों पर

13
फूलों से लदा
बूला होशो-हवास
अमलतास
14
हत शोभाश्री
निर्जला उपासी
जेथ की धरा
15
उबल रहे
ब्रह्माण्ड के देग में
चर-अचर
16
वन-अरण्य
जलें रूई मानिन्द
लपटें, धुँआ
17
आया है द्वार
धूल-भरी झोली ले
जोगी बैसाख
18
अंगारे बिछा
सोने चली धरती
लपटें ओढ़
19
नीम-बेहोश
करवट से लेटी
है दोपहरी
20
तक़्न है रूखा
होंठों जमीं पपड़ी
वैशाखी धरा
21
प्यासी चिड़िया
ख़ुश , टोंटी में छिपा
दो बूँद पानी
22
कुँए , छबील
प्यास बूझने वाले
मीत लापता
23
सती का शव
काँधे डाले घूमते
बौराए रुद्र
24
गुलमोहर
खिला, आग रंग की
 धूप -छतरी
-0-

  • किंग फिशर

-0-