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"हाइकु-2 / भावना कुँअर" के अवतरणों में अंतर
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| + | जुगनुओं का साथ | ||
| + | हाथ में हाथ। | ||
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| + | खिड़की पर | ||
| + | है भोर की किरण | ||
| + | नृ़त्यागंना -सी । | ||
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| + | लेटी थी धूप | ||
| + | सागर तट पर | ||
| + | प्यास बुझाने । | ||
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| + | दुखी हिरणी | ||
| + | खोजती है अपना | ||
| + | बिछड़ा छौना। | ||
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| + | परदेस में | ||
| + | जब होली मनाई। | ||
| + | तू याद आई। | ||
| + | 21 | ||
| + | नन्हा -सा बच्चा | ||
| + | मॉं के आँचल में है | ||
| + | लिपटा हुआ । | ||
| + | 22 | ||
| + | नन्हें हाथों से | ||
| + | मुझको जब छुआ | ||
| + | जादू -सा हुआ । | ||
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| + | रुनझुन -सी | ||
| + | पायल थी खनकी | ||
| + | गोरे पॉंव में। | ||
| + | 24 | ||
| + | सुबक पड़ी | ||
| + | कैसी थी वो निष्ठुर | ||
| + | विदा की घड़ी। | ||
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12:18, 9 मई 2012 के समय का अवतरण
13
नाचती-गाती
झूमती शाखाओं पे
खिला यौवन।
14
खेत है वधू
सरसों हैं गहने
स्वर्ण के जैसे ।
15
चिड़ियॉं गातीं
घंटियॉं मन्दिर की
गीत सुनातीं।
16
चाँदनी रात
जुगनुओं का साथ
हाथ में हाथ।
17
खिड़की पर
है भोर की किरण
नृ़त्यागंना -सी ।
18
लेटी थी धूप
सागर तट पर
प्यास बुझाने ।
19
दुखी हिरणी
खोजती है अपना
बिछड़ा छौना।
20
परदेस में
जब होली मनाई।
तू याद आई।
21
नन्हा -सा बच्चा
मॉं के आँचल में है
लिपटा हुआ ।
22
नन्हें हाथों से
मुझको जब छुआ
जादू -सा हुआ ।
23
रुनझुन -सी
पायल थी खनकी
गोरे पॉंव में।
24
सुबक पड़ी
कैसी थी वो निष्ठुर
विदा की घड़ी।
