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+ | हुई लहू-लुहान | ||
+ | शख़्मी, बेदम | ||
+ | कंक्रीट के जंगल | ||
+ | आ के जो गिरी | ||
+ | हँसता है मानव | ||
+ | पंख नोच के | ||
+ | वहशी बन चुका | ||
+ | करे प्रहार | ||
+ | प्रदूषण-दानव | ||
+ | साँस ही रुकी | ||
+ | आई थी वो खेलने | ||
+ | डूब ही गई | ||
+ | खौलते सागर में | ||
+ | जीवन-तरी | ||
+ | नृशंस, हत्यारा है | ||
+ | महा-नगर | ||
+ | भटकती ही फिरी | ||
+ | लोहा, सीमेण्ट | ||
+ | पत्थरों ने दुत्कारा | ||
+ | होश खो, गिरी | ||
+ | दो बूँद पानी नहीं | ||
+ | ममता नहीं | ||
+ | हरा-सा साया नहीं | ||
+ | |||
+ | धूप से जली | ||
+ | भूखी-प्यासी टकरा | ||
+ | रेत के टीलों | ||
+ | दम तोड़ गई री! | ||
+ | धरा बिलख रही | ||
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15:48, 21 मई 2012 का अवतरण
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सज-धज के
आकाश से उतरी
वसन्त-परी
हुई लहू-लुहान
शख़्मी, बेदम
कंक्रीट के जंगल
आ के जो गिरी
हँसता है मानव
पंख नोच के
वहशी बन चुका
करे प्रहार
प्रदूषण-दानव
साँस ही रुकी
आई थी वो खेलने
डूब ही गई
खौलते सागर में
जीवन-तरी
नृशंस, हत्यारा है
महा-नगर
भटकती ही फिरी
लोहा, सीमेण्ट
पत्थरों ने दुत्कारा
होश खो, गिरी
दो बूँद पानी नहीं
ममता नहीं
हरा-सा साया नहीं
धूप से जली
भूखी-प्यासी टकरा
रेत के टीलों
दम तोड़ गई री!
धरा बिलख रही
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