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"मनुष्यता / रामधारी सिंह "दिनकर"" के अवतरणों में अंतर
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− | भोग लिप्सा आज भी लहरा रही उद्दाम; | + | भोग लिप्सा आज भी लहरा रही उद्दाम;<br> |
− | बह रही असहाय नर कि भावना निष्काम| | + | बह रही असहाय नर कि भावना निष्काम|<br> |
− | लक्ष्य क्या? उद्देश्य क्या? क्या अर्थ? | + | लक्ष्य क्या? उद्देश्य क्या? क्या अर्थ?<br> |
− | यह नहीं यदि ज्ञात तो विज्ञानं का श्रम व्यर्थ| | + | यह नहीं यदि ज्ञात तो विज्ञानं का श्रम व्यर्थ|<br> |
− | यह मनुज, जो ज्ञान का आगार; | + | यह मनुज, जो ज्ञान का आगार;<br> |
− | यह मनुज, जो सृष्टि का श्रृंगार | | + | यह मनुज, जो सृष्टि का श्रृंगार |<br> |
− | छद्म इसकी कल्पना, पाखण्ड इसका ज्ञान; | + | छद्म इसकी कल्पना, पाखण्ड इसका ज्ञान;<br> |
− | यह मनुष्य, मनुष्यता का घोरतम अपमान| | + | यह मनुष्य, मनुष्यता का घोरतम अपमान|<br> |
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- रामधारी सिंह 'दिनकर' | - रामधारी सिंह 'दिनकर' |
05:19, 30 सितम्बर 2007 का अवतरण
है बहुत बरसी धरित्री पर अमृत की धार;
पर नहीं अब तक सुशीतल हो सका संसार|
भोग लिप्सा आज भी लहरा रही उद्दाम;
बह रही असहाय नर कि भावना निष्काम|
लक्ष्य क्या? उद्देश्य क्या? क्या अर्थ?
यह नहीं यदि ज्ञात तो विज्ञानं का श्रम व्यर्थ|
यह मनुज, जो ज्ञान का आगार;
यह मनुज, जो सृष्टि का श्रृंगार |
छद्म इसकी कल्पना, पाखण्ड इसका ज्ञान;
यह मनुष्य, मनुष्यता का घोरतम अपमान|
- रामधारी सिंह 'दिनकर'