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"अनाम गंध (हाइकु) / जगदीश व्योम" के अवतरणों में अंतर

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बिखेर रही हवा
 
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धान के खेत ।
 
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देवता नहीं
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आदमी बने रहो
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यही बहुत ।
  
 
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09:12, 4 जून 2012 का अवतरण

( हाइकु )

अनाम गंध
बिखेर रही हवा
धान के खेत ।


देवता नहीं
आदमी बने रहो
यही बहुत ।