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आत्मनिर्भरता / अजय मंगरा
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02:50, 7 जून 2012
|रचनाकार=अजय मंगरा
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{{KKCatKavita
}}{{KKCatMauritiusRachna
}}
<poem>
चिथड़ो में मैं आज,
साठ वर्षों बाद।
स्वार्थ कपट की बू है,
षड्यंत्र-चक्रव्युह है।
</Poem>
Dr. ashok shukla
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