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"दिसम्बर 1903 / कंस्तांतिन कवाफ़ी" के अवतरणों में अंतर

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जब मैं बात नहीं कर पाता अपने प्यार की
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जब मैं बात नहीं कर पाता अपने उस गहरे प्यार की
तेरे बालों, होंठों, आँखों की, तुझ दिलदार की
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तेरे बालों की, तेरे होंठों की, आँखों की, दिलदार की
तेरा चेहरा बसा रहता है मेरे दिल में तब भी
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तेरा चेहरा बसा रहता है मेरे दिल के भीतर तब भी
तेरी आवाज़ गूँजती है, जान, मेरे मन में अब भी
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तेरी आवाज़ गूँजा करती है, जानम, मेरे मन में अब भी
  
 
सितम्बर के वे दिन सुनहले, दिखाई देते हैं सपनों में
 
सितम्बर के वे दिन सुनहले, दिखाई देते हैं सपनों में
रंग देते हैं मेरी बातों को अपनों में
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मेरी ज़ुबान तो ओ प्रिया, बस  गीत तेरे ही गाती है
जब भी कहता हूँ कुछ, बस, तू याद आती है
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रंग-बिरंगा रंग देती है तू मेरी सब रातों को अपनों में
मेरी ज़ुबान तो ओ प्रिया, बस तेरे ही गीत गाती है
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कहना चाहूँ जब कोई बात, बस, याद तू ही तू आती है
 
   
 
   
 
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
 
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
 
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12:31, 20 जून 2012 के समय का अवतरण

जब मैं बात नहीं कर पाता अपने उस गहरे प्यार की
तेरे बालों की, तेरे होंठों की, आँखों की, दिलदार की
तेरा चेहरा बसा रहता है मेरे दिल के भीतर तब भी
तेरी आवाज़ गूँजा करती है, जानम, मेरे मन में अब भी

सितम्बर के वे दिन सुनहले, दिखाई देते हैं सपनों में
मेरी ज़ुबान तो ओ प्रिया, बस गीत तेरे ही गाती है
रंग-बिरंगा रंग देती है तू मेरी सब रातों को अपनों में
कहना चाहूँ जब कोई बात, बस, याद तू ही तू आती है
 
अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय