"जड़ें / उशनस" के अवतरणों में अंतर
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फिर भी जडों जैसा कुछ रह गया है | फिर भी जडों जैसा कुछ रह गया है | ||
जीवंत और कसमसाता | जीवंत और कसमसाता | ||
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लगता है कुछ अनजान जंगली जडे | लगता है कुछ अनजान जंगली जडे | ||
भूगर्भ में उतर गयी हैं मेरे अन्दर बहुत गहरे | भूगर्भ में उतर गयी हैं मेरे अन्दर बहुत गहरे | ||
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मेरे साथ छापामार युद्ध में सक्रिय हैं वे | मेरे साथ छापामार युद्ध में सक्रिय हैं वे | ||
रह रहकर | रह रहकर | ||
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कोई मेरे भीतर दीवार चुन रहा है रोज रोज | कोई मेरे भीतर दीवार चुन रहा है रोज रोज | ||
ईट पर ईट रखकर सुरक्षा की | ईट पर ईट रखकर सुरक्षा की | ||
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रोज रोज | रोज रोज | ||
मेरे असावधान क्षणों में | मेरे असावधान क्षणों में | ||
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देखता हूँ कुछ अनजानी जडे मेरी | देखता हूँ कुछ अनजानी जडे मेरी | ||
दीवार को सतत खोदे जा रही हैं नींव से ही | दीवार को सतत खोदे जा रही हैं नींव से ही | ||
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वही अब बैर चुका रहा है रह रहकर मेरे साथ | वही अब बैर चुका रहा है रह रहकर मेरे साथ | ||
जडों से जडों में | जडों से जडों में | ||
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अब मैं एक दीवार बनता जा रहा हूँ | अब मैं एक दीवार बनता जा रहा हूँ | ||
मेरे अंदर की मिट्टी अब | मेरे अंदर की मिट्टी अब | ||
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अब तक काटे गये | अब तक काटे गये | ||
जंगलों के उद्भित बीज | जंगलों के उद्भित बीज | ||
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नीचे से उपर तक कोई मुझे टांच रहा है | नीचे से उपर तक कोई मुझे टांच रहा है | ||
खुरच रहा है खोद रहा है नींव मे से | खुरच रहा है खोद रहा है नींव मे से | ||
मैं बेचैन हूं | मैं बेचैन हूं | ||
मेरी नींद हराम हो गयी है | मेरी नींद हराम हो गयी है | ||
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उपर वृक्ष जैसा तो कुछ दीख ही नहीं रहा है | उपर वृक्ष जैसा तो कुछ दीख ही नहीं रहा है | ||
और मात्र | और मात्र | ||
अदृष्य जडें हीं कुलबुला रही है मेरी मेरी नींव में | अदृष्य जडें हीं कुलबुला रही है मेरी मेरी नींव में | ||
फैलते उलझते बिजली के तारों सी। | फैलते उलझते बिजली के तारों सी। | ||
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कभी कभी तो जडें मुझमें ही तन जाती हैं | कभी कभी तो जडें मुझमें ही तन जाती हैं | ||
और संभोग करती हैं सर्पो की भांति मेरे अन्दर | और संभोग करती हैं सर्पो की भांति मेरे अन्दर | ||
एक वृक्ष को जन्म देने के लिये | एक वृक्ष को जन्म देने के लिये | ||
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ये जनजानी जडें ही मुझे | ये जनजानी जडें ही मुझे | ||
एक दिन दीवार की तरह फाड देंगी ं | एक दिन दीवार की तरह फाड देंगी ं |
19:24, 1 जुलाई 2012 के समय का अवतरण
पिछले जनम में जरूर कोई पेड रहा हूंगा
मेरी आँतों के साथ कुछ कट गया था
फिर भी जडों जैसा कुछ रह गया है
जीवंत और कसमसाता
वही रह रहकर अभी भी
लगता है कुछ अनजान जंगली जडे
भूगर्भ में उतर गयी हैं मेरे अन्दर बहुत गहरे
मैे आदमी के रूप में आया हूं
तभी से है यह टकराहट
मेरे साथ छापामार युद्ध में सक्रिय हैं वे
रह रहकर
कोई मेरे भीतर दीवार चुन रहा है रोज रोज
ईट पर ईट रखकर सुरक्षा की
जैसे कोई इस खडी होती हुयी इमारत को
फकीर की दरी की भाँति उधेडकर फेंक देता है
रोज रोज
मेरे असावधान क्षणों में
देखता हूँ कुछ अनजानी जडे मेरी
दीवार को सतत खोदे जा रही हैं नींव से ही
पिछले जनम में शायद किसी पेड को काटा होगा मैने
वही अब बैर चुका रहा है रह रहकर मेरे साथ
जडों से जडों में
अब मैं एक दीवार बनता जा रहा हूँ
मेरे अंदर की मिट्टी अब
पत्थर सी सख्त होती ...सूखती जा रही हैं
मेरी इस मिट्टी मेंसमाये हैं
अब तक काटे गये
जंगलों के उद्भित बीज
नीचे से उपर तक कोई मुझे टांच रहा है
खुरच रहा है खोद रहा है नींव मे से
मैं बेचैन हूं
मेरी नींद हराम हो गयी है
उपर वृक्ष जैसा तो कुछ दीख ही नहीं रहा है
और मात्र
अदृष्य जडें हीं कुलबुला रही है मेरी मेरी नींव में
फैलते उलझते बिजली के तारों सी।
कभी कभी तो जडें मुझमें ही तन जाती हैं
और संभोग करती हैं सर्पो की भांति मेरे अन्दर
एक वृक्ष को जन्म देने के लिये
ये जनजानी जडें ही मुझे
एक दिन दीवार की तरह फाड देंगी ं
बृक्ष बनने की प्रक्रिया में
गुजराती से अनुवाद