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<div style="font-size:15px; font-weight:bold">सप्ताह की कविता</div>
<div style="font-size:15px;">'''शीर्षक :इक-इक पत्थर जोड़ के मैंने जो दीवार बनाई.. '''रचनाकार:''' [[क़तील शिफ़ाई]] </div>
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<div style="font-size:15px;">'''शीर्षक :पढ़-लिख के बड़ा हो के तू एक किताब लिखना '''रचनाकार:''' [[आनंद बख़्शी]] </div>
 
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(11 जुलाई को क़तील शिफ़ाई की पुण्यतिथि होती है )  
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(21 जुलाई को आनंद बख़्शी का जन्मदिवस होता है)  
  
इक-इक पत्थर जोड़ के मैंने जो दीवार बनाई है
+
पढ़-लिख के बड़ा हो के तू एक किताब लिखना
झाँकूँ उसके पीछे तो रुस्वाई ही रुस्वाई है
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अपने सवालों का तू ख़ुद ही जवाब लिखना
 +
पढ़-लिख के बड़ा हो के तू एक किताब लिखना
 +
अपने सवालों का तू ख़ुद ही जवाब लिखना
  
यों लगता है सोते जागते औरों का मोहताज हूँ मैं
+
हाथों से जिनका दामन एक दिन है छूट जाना
आँखें मेरी अपनी हैं पर उनमें नींद पराई है
+
तारों के डूबते ही जिनको है टूट जाना
 +
ये आँखें देखती हैं क्यूँ ऐसे ख़्वाब लिखना
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अपने सवालों का तू ख़ुद ही जवाब लिखना
  
देख रहे हैं सब हैरत से नीले-नीले पानी को  
+
मैंने तो प्यार को ही मज़हब बना लिया है
पूछे कौन समन्दर से तुझमें कितनी गहराई है
+
इस दिल को दिल की दुनिया का रब बना लिया है
 +
ईमान हो गया क्या मेरा ख़राब लिखना
 +
अपने सवालों का तू ख़ुद ही जवाब लिखना
  
सब कहते हैं इक जन्नत उतरी है मेरी धरती पर
+
कहते हैं लोग उनकी रसमों को मैने तोड़ा
मैं दिल में सोचूँ शायद कमज़ोर मेरी बीनाई है
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ये फ़ैसला भी मैने तेरी समझ पे छोड़ा
 
+
मेरी ख़ताओं का तू पूरा हिसाब लिखना
बाहर सहन में पेड़ों पर कुछ जलते-बुझते जुगनू थे
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हैरत है फिर घर के अन्दर किसने आग लगाई है
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आज हुआ मालूम मुझे इस शहर के चन्द सयानों से
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अपनी राह बदलते रहना सबसे बड़ी दानाई है
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तोड़ गये पैमाना-ए-वफ़ा इस दौर में कैसे कैसे लोग  
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ये मत सोच "क़तील" कि बस इक यार तेरा हरजाई है
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08:44, 17 जुलाई 2012 का अवतरण

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सप्ताह की कविता
शीर्षक :पढ़-लिख के बड़ा हो के तू एक किताब लिखना रचनाकार: आनंद बख़्शी
(21 जुलाई को आनंद बख़्शी का जन्मदिवस होता है) 

पढ़-लिख के बड़ा हो के तू एक किताब लिखना
अपने सवालों का तू ख़ुद ही जवाब लिखना
पढ़-लिख के बड़ा हो के तू एक किताब लिखना
अपने सवालों का तू ख़ुद ही जवाब लिखना

हाथों से जिनका दामन एक दिन है छूट जाना
तारों के डूबते ही जिनको है टूट जाना
ये आँखें देखती हैं क्यूँ ऐसे ख़्वाब लिखना
अपने सवालों का तू ख़ुद ही जवाब लिखना

मैंने तो प्यार को ही मज़हब बना लिया है
इस दिल को दिल की दुनिया का रब बना लिया है
ईमान हो गया क्या मेरा ख़राब लिखना
अपने सवालों का तू ख़ुद ही जवाब लिखना

कहते हैं लोग उनकी रसमों को मैने तोड़ा
ये फ़ैसला भी मैने तेरी समझ पे छोड़ा
मेरी ख़ताओं का तू पूरा हिसाब लिखना