भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"साँचा:KKPoemOfTheWeek" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
पंक्ति 6: | पंक्ति 6: | ||
<td rowspan=2> | <td rowspan=2> | ||
<div style="font-size:15px; font-weight:bold">सप्ताह की कविता</div> | <div style="font-size:15px; font-weight:bold">सप्ताह की कविता</div> | ||
− | <div style="font-size:15px;">'''शीर्षक : | + | <div style="font-size:15px;">'''शीर्षक :पढ़-लिख के बड़ा हो के तू एक किताब लिखना '''रचनाकार:''' [[आनंद बख़्शी]] </div> |
</td> | </td> | ||
</tr> | </tr> | ||
</table><pre style="text-align:left;overflow:auto;height:21em;background:transparent; border:none; font-size:14px"> | </table><pre style="text-align:left;overflow:auto;height:21em;background:transparent; border:none; font-size:14px"> | ||
− | ( | + | (21 जुलाई को आनंद बख़्शी का जन्मदिवस होता है) |
− | + | पढ़-लिख के बड़ा हो के तू एक किताब लिखना | |
− | + | अपने सवालों का तू ख़ुद ही जवाब लिखना | |
+ | पढ़-लिख के बड़ा हो के तू एक किताब लिखना | ||
+ | अपने सवालों का तू ख़ुद ही जवाब लिखना | ||
− | + | हाथों से जिनका दामन एक दिन है छूट जाना | |
− | आँखें | + | तारों के डूबते ही जिनको है टूट जाना |
+ | ये आँखें देखती हैं क्यूँ ऐसे ख़्वाब लिखना | ||
+ | अपने सवालों का तू ख़ुद ही जवाब लिखना | ||
− | + | मैंने तो प्यार को ही मज़हब बना लिया है | |
− | + | इस दिल को दिल की दुनिया का रब बना लिया है | |
+ | ईमान हो गया क्या मेरा ख़राब लिखना | ||
+ | अपने सवालों का तू ख़ुद ही जवाब लिखना | ||
− | + | कहते हैं लोग उनकी रसमों को मैने तोड़ा | |
− | + | ये फ़ैसला भी मैने तेरी समझ पे छोड़ा | |
− | + | मेरी ख़ताओं का तू पूरा हिसाब लिखना | |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | ये | + | |
</pre></center></div> | </pre></center></div> |
08:44, 17 जुलाई 2012 का अवतरण
सप्ताह की कविता
शीर्षक :पढ़-लिख के बड़ा हो के तू एक किताब लिखना रचनाकार: आनंद बख़्शी
|
(21 जुलाई को आनंद बख़्शी का जन्मदिवस होता है) पढ़-लिख के बड़ा हो के तू एक किताब लिखना अपने सवालों का तू ख़ुद ही जवाब लिखना पढ़-लिख के बड़ा हो के तू एक किताब लिखना अपने सवालों का तू ख़ुद ही जवाब लिखना हाथों से जिनका दामन एक दिन है छूट जाना तारों के डूबते ही जिनको है टूट जाना ये आँखें देखती हैं क्यूँ ऐसे ख़्वाब लिखना अपने सवालों का तू ख़ुद ही जवाब लिखना मैंने तो प्यार को ही मज़हब बना लिया है इस दिल को दिल की दुनिया का रब बना लिया है ईमान हो गया क्या मेरा ख़राब लिखना अपने सवालों का तू ख़ुद ही जवाब लिखना कहते हैं लोग उनकी रसमों को मैने तोड़ा ये फ़ैसला भी मैने तेरी समझ पे छोड़ा मेरी ख़ताओं का तू पूरा हिसाब लिखना