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"अपनी माँ के कपड़ों में / अंजुम हसन" के अवतरणों में अंतर

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18:59, 17 जुलाई 2012 के समय का अवतरण

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: अंजुम हसन  » अपनी माँ के कपड़ों में

मेरी बगलों का पसीना
सहमकर उसके ब्लाऊज को भिगोता है -
शर्मीले, सीले फूल मेरे पसीने के उसके ब्लाऊज पर।

मैं पहनती हूँ उसके प्यास-नीले और जंगल-हरे
और जले-संतरे के रंगों को जैसे वे मेरे हों
मेरी माँ के रंग मेरी त्वचा पर एक धूल भरे शहर में

मैं उसके कपड़ों में चलती फिरती हूँ
मन ही मन हंसते हुए, इस बोझ से मुक्त
कि आप जो पहनते हैं, वही आप हो जाते हैं:
अपनी माँ के कपड़ों में न तो मैं ख़ुद हूँ न माँ हूँ

लेकिन कुछ-कुछ उस छह साल की लम्छड सी हूँ
जो अपनी उंगलियों पर माँ की सोने की अंगूठियाँ
चढा लेती है, बड़ा सा कार्डिगन पहन लेती है -
धूप और दूध की गंध से भरा -
और प्यार में ऊंघती फिरती है, कमरों में
जिनके पर्दे जून की शहद भरी रोशनी
के खिलाफ खींच दिये गये हैं

मूल अंग्रेज़ी से अनुवाद : तेजी ग्रोवर