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शब्द भी रोने लगे । | शब्द भी रोने लगे । |
21:17, 17 जुलाई 2012 के समय का अवतरण
अर्थ जब खोने लगे
शब्द भी रोने लगे ।
जब वो आदमकद हुए
सब उन्हें बौने लगे ।
ज़ख्म न देखे गये जब
अश्रू से धोने लगे ।
एक जज़्बा था अभी तक
आप तो छूने लगे ।
कब तलक ये ख्वाब देखूँ
वो मेरे होने लगे ।
कब कहानी मोड़ ले ले
आप तो सोने लगे ।