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<div style="font-size:15px; font-weight:bold">सप्ताह की कविता</div>
 
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<div style="font-size:15px;">'''शीर्षक :पढ़-लिख के बड़ा हो के तू एक किताब लिखना '''रचनाकार:''' [[आनंद बख़्शी]] </div>
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<div style="font-size:15px;">'''आज 28 जुलाई को आदरणीय श्री अनिल जनविजय जी का जन्मदिवस है उनके शतायु होने की कामना के साथ प्रस्तुत है उनकी कविता शीर्षक : *नया वर्ष* '''रचनाकार:''' [[अनिल जनविजय]] </div>
 
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(21 जुलाई को आनंद बख़्शी का जन्मदिवस होता है)
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नया वर्ष
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संगीत की बहती नदी हो
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गेहूँ की बाली दूध से भरी हो
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अमरूद की टहनी फूलों से लदी हो
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खेलते हुए बच्चों की किलकारी हो नया वर्ष
  
पढ़-लिख के बड़ा हो के तू एक किताब लिखना
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नया वर्ष
अपने सवालों का तू ख़ुद ही जवाब लिखना
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सुबह का उगता सूरज हो
पढ़-लिख के बड़ा हो के तू एक किताब लिखना
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हर्षोल्लास में चहकता पाखी
अपने सवालों का तू ख़ुद ही जवाब लिखना
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नन्हे बच्चों की पाठशाला हो
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निराला-नागार्जुन की कविता
  
हाथों से जिनका दामन एक दिन है छूट जाना
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नया वर्ष
तारों के डूबते ही जिनको है टूट जाना
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चकनाचूर होता हिमखंड हो
ये आँखें देखती हैं क्यूँ ऐसे ख़्वाब लिखना
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धरती पर जीवन अनंत हो
अपने सवालों का तू ख़ुद ही जवाब लिखना
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रक्तस्नात भीषण दिनों के बाद
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हर कोंपल, हर कली पर छाया वसंत हो
  
मैंने तो प्यार को ही मज़हब बना लिया है
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(रचनाकाल : 1995)
इस दिल को दिल की दुनिया का रब बना लिया है
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ईमान हो गया क्या मेरा ख़राब लिखना
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अपने सवालों का तू ख़ुद ही जवाब लिखना
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कहते हैं लोग उनकी रसमों को मैने तोड़ा
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ये फ़ैसला भी मैने तेरी समझ पे छोड़ा
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मेरी ख़ताओं का तू पूरा हिसाब लिखना
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08:00, 28 जुलाई 2012 का अवतरण

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सप्ताह की कविता
आज 28 जुलाई को आदरणीय श्री अनिल जनविजय जी का जन्मदिवस है उनके शतायु होने की कामना के साथ प्रस्तुत है उनकी कविता शीर्षक : *नया वर्ष* रचनाकार: अनिल जनविजय
नया वर्ष
संगीत की बहती नदी हो
गेहूँ की बाली दूध से भरी हो
अमरूद की टहनी फूलों से लदी हो
खेलते हुए बच्चों की किलकारी हो नया वर्ष

नया वर्ष
सुबह का उगता सूरज हो
हर्षोल्लास में चहकता पाखी
नन्हे बच्चों की पाठशाला हो
निराला-नागार्जुन की कविता

नया वर्ष
चकनाचूर होता हिमखंड हो
धरती पर जीवन अनंत हो
रक्तस्नात भीषण दिनों के बाद
हर कोंपल, हर कली पर छाया वसंत हो

(रचनाकाल : 1995)