"डगर पर / अज्ञेय" के अवतरणों में अंतर
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एथिनाइ (एथेंस) के विषय में कथा है कि पौसेइदोन और एथीना में होड़ लगी कि नयी नगरी का नाम किस पर हो। देवताओं ने सुझाया जो नगरी को श्रेष्ठतर उपहार दे उसी के नाम पर नगरी का नाम रखा जाए। पौसेइदोन ने त्रिशूल फेंका, जिससे घोड़ा प्रकट हुआ : एथीना ने अपना भाला पटका, जिस से जालिपा (जैतून) का वृक्ष उत्पन्न हुआ। देवताओं ने निर्णय सुनाया : घोड़ा तो युद्ध का प्रतीक है; जालिपा शान्ति और समृद्धि का, इसलिए देवी जीती; नगरी का नाम एथिनाइ पड़ा। | एथिनाइ (एथेंस) के विषय में कथा है कि पौसेइदोन और एथीना में होड़ लगी कि नयी नगरी का नाम किस पर हो। देवताओं ने सुझाया जो नगरी को श्रेष्ठतर उपहार दे उसी के नाम पर नगरी का नाम रखा जाए। पौसेइदोन ने त्रिशूल फेंका, जिससे घोड़ा प्रकट हुआ : एथीना ने अपना भाला पटका, जिस से जालिपा (जैतून) का वृक्ष उत्पन्न हुआ। देवताओं ने निर्णय सुनाया : घोड़ा तो युद्ध का प्रतीक है; जालिपा शान्ति और समृद्धि का, इसलिए देवी जीती; नगरी का नाम एथिनाइ पड़ा। | ||
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+ | ओलिम्पिया : यहाँ के प्रसिद्ध खेलों के विजेता मल्ल को जालिपा की डाल का किरीट दिया जाता था। | ||
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16:31, 9 अगस्त 2012 के समय का अवतरण
नागरों की नगरी में
देवताओं में होड़ होती होगी।
मेरे ग्राम का कोई नाम नहीं,
तेरे का होगा, मुझे उस से काम नहीं।
यह मेरा घोड़ा है, लदा है माल-
जालिपा की डाल, फल :
चखोगी-लोगी?
या कि घोड़े की दुलकी देखोगी-
ओलिम्पिया1 चलोगी?
अक्टूबर, 1969
एथिनाइ (एथेंस) के विषय में कथा है कि पौसेइदोन और एथीना में होड़ लगी कि नयी नगरी का नाम किस पर हो। देवताओं ने सुझाया जो नगरी को श्रेष्ठतर उपहार दे उसी के नाम पर नगरी का नाम रखा जाए। पौसेइदोन ने त्रिशूल फेंका, जिससे घोड़ा प्रकट हुआ : एथीना ने अपना भाला पटका, जिस से जालिपा (जैतून) का वृक्ष उत्पन्न हुआ। देवताओं ने निर्णय सुनाया : घोड़ा तो युद्ध का प्रतीक है; जालिपा शान्ति और समृद्धि का, इसलिए देवी जीती; नगरी का नाम एथिनाइ पड़ा।
ओलिम्पिया : यहाँ के प्रसिद्ध खेलों के विजेता मल्ल को जालिपा की डाल का किरीट दिया जाता था।