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"इंसानी फितरत / लालित्य ललित" के अवतरणों में अंतर

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घर जाओ
 
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अभी नहीं आए हैं
 
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और आप के पास
 
और आप के पास

14:18, 23 अगस्त 2012 का अवतरण

धोखा देने वाले लोग
विश्वास तोड़ने वाले लोग
बहुत बड़ी तादाद में हैं
ये वे लोग हैं
जिनके पास वह सब कुछ है
जो हमारे
आपके पास नहीं
‘‘एक अलग तरह का मक्खन
चिरौरी करने का अंदाज़
पैर दबाने की कला’’
- और आप चक्कर में
आ जाते हैं !
ऐसे बहुत से लोग हैं
मिलाओ फ़ोन
नहीं मिलेंगे
घर जाओ
ताला मिलेगा
दफ्तर जाओ
अभी नहीं आए हैं
और आप के पास
कोसने, कुढ़ने के
अलावा बचा क्या है ?
- जी कुछ नहीं बचा !
पता नहीं
वह कौन सी शुभ घड़ी थी
जो मैंने क़र्ज़ा दिया
लेने वाले का तो
कुछ हुआ नहीं
उच्च रक्त चाप का
शिकार मैं हुआ
क्या आप भी
ऐसे खुशनसीब हैं ?
जिन्दगी में
किसी ऐसे
सख़्स के
क़रीब हैं
सभी भुक्त भोगियों के
चेहरे लटके मिलें
लंगड़े आम की तरह ।