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"नामर्द रिश्ता / लालित्य ललित" के अवतरणों में अंतर

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ख़ामोश थे
 
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चुप थे
 
चुप थे
उन्हंे चुप ही रहना है
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उन्हें चुप ही रहना है
 
नामर्द ! कहीं के !
 
नामर्द ! कहीं के !
  
 
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17:17, 23 अगस्त 2012 के समय का अवतरण


संबंधों में खटास
पड़ जाए तो
निभाने का कोई मतलब नहीं
यह तो
बिल्कुल ऐसा हुआ
कि चाय बनाते हुए दूध फट जाए
और आप चायदानी से
छान कर चाय पी लो
क्या आपने कभी ऐसी चाय
पी है ?
मैंने तो नहीं पी
ना ही पियूंगा
सौ लोगों में से
एक प्रतिशत की आवाज़
थी - नहीं पी
बाक़ी
निन्यानवे प्रतिशत
ख़ामोश थे
चुप थे
उन्हें चुप ही रहना है
नामर्द ! कहीं के !