"धुँआ (1) / हरबिन्दर सिंह गिल" के अवतरणों में अंतर
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरबिन्दर सिंह गिल |संग्रह=धुँआ / ह...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 33: | पंक्ति 33: | ||
क्योंकि, ये बादल | क्योंकि, ये बादल | ||
किन्हीं फसलों के लिए नही बने | किन्हीं फसलों के लिए नही बने | ||
− | न बने हैं, | + | न बने हैं, पेड़-पौधों के लिए |
न बने हैं, पशु-पक्षियों के लिए । | न बने हैं, पशु-पक्षियों के लिए । | ||
21:23, 7 फ़रवरी 2013 के समय का अवतरण
ये कैसे बादल हैं
जो बिन मौसम के हैं,
ये आसमान में नहीं रहते
रहते हैं, गली कूचों में ।
इन बादलों से
सूरज की रोशनी कम नहीं होती
न रोकते हैं, चाँदनी चांद की ।
क्योंकि, ये गरजते नहीं हैं
गिराते हैं आग
इन्सान के दिलों पर ।
क्योंकि, ये पानी नहीं बरसाते
बरसाते हैं
खून मनुष्यों का, पानी की तरह ।
क्योंकि, ये बादल
किन्हीं हवाओं से नही बने
बने हैं, नफरत की आँधी से ।
क्योंकि, ये बादल
किसी चक्रवात से नही बने
बने हैं, ग्लानि के ज्वार-भाटो से ।
क्योंकि, ये बादल
किन्हीं फसलों के लिए नही बने
न बने हैं, पेड़-पौधों के लिए
न बने हैं, पशु-पक्षियों के लिए ।
ये तो बने हैं, सिर्फ एक निम्न ध्येय के लिए
कैसे छिना जाए
अन्न का निवाला, बच्चों के मुख से ।