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"सुभाष की मृत्यु पर / धर्मवीर भारती" के अवतरणों में अंतर

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मानवता के तरुण रक्त से लिखा संदेशा पाकर<br>
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मानवता के तरुण रक्त से लिखा संदेशा पाकर
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और देवताओं ने ले कर ध्रुव तारों की टेक -<br>
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और देवताओं ने ले कर ध्रुव तारों की टेक -
छिड़के होंगे तुम पर तरुनाई के खूनी फूल<br>
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छिड़के होंगे तुम पर तरुनाई के खूनी फूल
खुद ईश्वर ने चीर अंगूठा अपनी सत्ता भूल<br>
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खुद ईश्वर ने चीर अंगूठा अपनी सत्ता भूल
उठ कर स्वयं किया होगा विद्रोही का अभिषेक<br><br>
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किंतु स्वर्ग से असंतुष्ट तुम, यह स्वागत का शोर<br>
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धीमे-धीमे जबकि पड़ गया होगा बिलकुल शांत<br>
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धीमे-धीमे जबकि पड़ गया होगा बिलकुल शांत
और रह गया होगा जब वह स्वर्ग देश<br>
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खोल कफ़न ताका होगा तुमने भारत का भोर।<br>
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खोल कफ़न ताका होगा तुमने भारत का भोर।
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10:59, 15 मार्च 2013 के समय का अवतरण

दूर देश में किसी विदेशी गगन खंड के नीचे
सोये होगे तुम किरनों के तीरों की शैय्या पर
मानवता के तरुण रक्त से लिखा संदेशा पाकर
मृत्यु देवताओं ने होंगे प्राण तुम्हारे खींचे

प्राण तुम्हारे धूमकेतु से चीर गगन पट झीना
जिस दिन पहुंचे होंगे देवलोक की सीमाओं पर
अमर हो गई होगी आसन से मौत मूर्च्छिता होकर
और फट गया होगा ईश्वर के मरघट का सीना

और देवताओं ने ले कर ध्रुव तारों की टेक -
छिड़के होंगे तुम पर तरुनाई के खूनी फूल
खुद ईश्वर ने चीर अंगूठा अपनी सत्ता भूल
उठ कर स्वयं किया होगा विद्रोही का अभिषेक

किंतु स्वर्ग से असंतुष्ट तुम, यह स्वागत का शोर
धीमे-धीमे जबकि पड़ गया होगा बिलकुल शांत
और रह गया होगा जब वह स्वर्ग देश
खोल कफ़न ताका होगा तुमने भारत का भोर।