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विजन गिरिपथ पर चटखती / नामवर सिंह
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08:25, 15 अप्रैल 2013
|रचनाकार= नामवर सिंह
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विजन गिरीपथ पर चटखती पत्तियों का लास
हृदय में निर्जल नदी के पत्थरों का हास
'लौट आ, घर लौट' गेही की कहीं आवाज़
भींगते से वस्त्र शायद छू गया
वातास।
वातास ।
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अनिल जनविजय
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