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"आज तुम्हारा जन्मदिवस / नामवर सिंह" के अवतरणों में अंतर
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समुख तुम्हारे और नदी तट भटका-भटका | समुख तुम्हारे और नदी तट भटका-भटका | ||
+ | कभी देखता हाथ कभी लेखनी अबन्ध्या । | ||
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पथ, इमली में भरा व्योम,आ बैठे तारे | पथ, इमली में भरा व्योम,आ बैठे तारे | ||
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हर सुंदर को देख सोचता क्यों मिला हिया | हर सुंदर को देख सोचता क्यों मिला हिया | ||
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यदि उससे वंचित रह जाता तू...? | यदि उससे वंचित रह जाता तू...? | ||
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आँख खोलती कलियाँ भी कहती हैं पैसा। | आँख खोलती कलियाँ भी कहती हैं पैसा। | ||
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14:03, 15 अप्रैल 2013 का अवतरण
आज तुम्हारा जन्मदिवस, यूँ ही यह संध्या
भी चली गई, किंतु अभागा मैं न जा सका
समुख तुम्हारे और नदी तट भटका-भटका
कभी देखता हाथ कभी लेखनी अबन्ध्या ।
पार हाट, शायद मेल; रंग-रंग गुब्बारे ।
उठते लघु-लघु हाथ,सीटियाँ; शिशु सजे-धजे
मचल रहे... सोचूँ कि अचानक दूर छ: बजे ।
पथ, इमली में भरा व्योम,आ बैठे तारे
'सेवा उपवन', पुष्पमित्र गंधवह आ लगा
मस्तक कंकड़ भरा किसी ने ज्यों हिला दिया ।
हर सुंदर को देख सोचता क्यों मिला हिया
यदि उससे वंचित रह जाता तू...?
क्षमा मत करो वत्स, आ गया दिन ही ऐसा
आँख खोलती कलियाँ भी कहती हैं पैसा।