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"जीवन-काँवर / प्रतिभा सक्सेना" के अवतरणों में अंतर

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घट में धारण कर लिया आस्था-विश्वासों का संचित जल
 
घट में धारण कर लिया आस्था-विश्वासों का संचित जल
अर्पित कर महाकाल को फिर, चल देता अपने नियतस्थल!  
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अर्पित कर महाकाल को फिर, चल देता अपने नियतस्थल!
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19:03, 21 मई 2013 के समय का अवतरण

 
भौतिकता और चेतना के दो घटवाली जीवन-काँवर,
लेकर आता है जीव, श्वास की त्रिगुण डोर में अटका कर,

हर बार नये ही निर्धारण, काँवरिये की यात्रा के पथ
चक्रिल राहों पर भरमाता, देता फिर बरस-बरस भाँवर .

घट में धारण कर लिया आस्था-विश्वासों का संचित जल
अर्पित कर महाकाल को फिर, चल देता अपने नियतस्थल!