भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"विनती / रामचंद्र शुक्ल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKRachna |रचनाकार=रामचंद्र शुक्ल }} {{KKCatKavita}} <poem> जय जय जग नायक...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
+ | {{KKGlobal}} | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=रामचंद्र शुक्ल | |रचनाकार=रामचंद्र शुक्ल |
19:52, 2 जून 2013 के समय का अवतरण
जय जय जग नायक करतार।
करत नाथ कर जोरि आज हम विनती बारम्बार।
प्रात समीर सरिस भारत महँ हिन्दी करै प्रसार ।।
जय जय जग नायक करतार।
खोलै परखि उनीदे नयनन दरसावैं संसार।
बुधा हिय सागर बीच उठावै भाव तरंग अपार ।।
जय जय जग नायक करतार।
देश देश के मृदु सुमनन सों भरि सौरभ को थार।
बगरावै यदि भूमि बीच जो हरै समाज विकार ।।
जय जय जग नायक करतार।
मेटे सब असान ताप करि शीतलता संचार।
विविध कला किसलय कल रणदरावै प्रतिद्वार ।।
जय जय....