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"अश्रु / कविता वाचक्नवी" के अवतरणों में अंतर
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सूखे, | सूखे, | ||
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और चमकते हैं। | और चमकते हैं। |
23:02, 10 जून 2013 के समय का अवतरण
इस चेहरे के अक्षर
गीले हैं, सूरज!
कितना सोखो
सूखे,
और चमकते हैं।