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"अश्रु / कविता वाचक्नवी" के अवतरणों में अंतर

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इस चेहरे के अक्षर  
 
इस चेहरे के अक्षर  
 
 
गीले हैं, सूरज!  
 
गीले हैं, सूरज!  
 
 
कितना सोखो  
 
कितना सोखो  
 
 
सूखे,  
 
सूखे,  
 
 
और चमकते हैं।
 
और चमकते हैं।

23:02, 10 जून 2013 के समय का अवतरण

इस चेहरे के अक्षर
गीले हैं, सूरज!
कितना सोखो
सूखे,
और चमकते हैं।