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"हरित फौवारों सरीखे धान / नामवर सिंह" के अवतरणों में अंतर

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जोत का जल पोंछती-सी छाँह
 
जोत का जल पोंछती-सी छाँह
 
धूप में रह-रहकर उभर आए
 
धूप में रह-रहकर उभर आए
स्वप्न के चिथ़डे नयन-तल आह
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स्वप्न के चिथड़े नयन-तल आह
 
इस तरह क्यों पोंछते जाएँ ?
 
इस तरह क्यों पोंछते जाएँ ?
 
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03:46, 1 जुलाई 2013 के समय का अवतरण

हरित फौवारों सरीखे धान
हाशिये-सी विंध्य-मालाएँ
नम्र कन्धों पर झुकीं तुम प्राण
सप्तवर्णी केश फैलाए

जोत का जल पोंछती-सी छाँह
धूप में रह-रहकर उभर आए
स्वप्न के चिथड़े नयन-तल आह
इस तरह क्यों पोंछते जाएँ ?