भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"तिब्बत / उदय प्रकाश" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 17: पंक्ति 17:
 
गेंदे के एक फूल में  
 
गेंदे के एक फूल में  
 
कितने फूल होते हैं  
 
कितने फूल होते हैं  
पापा ?   
+
पापा?   
  
 
तिब्बत में बरसात  
 
तिब्बत में बरसात  
 
जब होती है  
 
जब होती है  
 
तब हम किस मौसम में  
 
तब हम किस मौसम में  
होते हैं ?   
+
होते हैं?   
  
तिब्बत में जब तीन बजते हैं  
+
तिब्बत में जब  
 +
तीन बजते हैं  
 
तब हम किस समय में  
 
तब हम किस समय में  
होते हैं ?   
+
होते हैं?   
  
 
तिब्बत में  
 
तिब्बत में  
 
गेंदे के फूल होते हैं  
 
गेंदे के फूल होते हैं  
क्या पापा ?   
+
क्या पापा?   
  
 
लामा शंख बजाते है पापा?   
 
लामा शंख बजाते है पापा?   
पंक्ति 38: पंक्ति 39:
 
अंधेरे में  
 
अंधेरे में  
 
तेज़-तेज़ चलते हुए देखा है  
 
तेज़-तेज़ चलते हुए देखा है  
कभी ?   
+
कभी?   
  
 
जब लोग मर जाते हैं  
 
जब लोग मर जाते हैं  
पंक्ति 62: पंक्ति 63:
 
हमारी तरह ही  
 
हमारी तरह ही  
 
रोते हैं  
 
रोते हैं  
पापा ?
+
पापा?
 
</poem>
 
</poem>

19:10, 9 जुलाई 2013 का अवतरण

तिब्बत से आये हुए
लामा घूमते रहते हैं
आजकल मंत्र बुदबुदाते

उनके खच्चरों के झुंड
बगीचों में उतरते हैं
गेंदे के पौधों को नहीं चरते

गेंदे के एक फूल में
कितने फूल होते हैं
पापा?

तिब्बत में बरसात
जब होती है
तब हम किस मौसम में
होते हैं?

तिब्बत में जब
तीन बजते हैं
तब हम किस समय में
होते हैं?

तिब्बत में
गेंदे के फूल होते हैं
क्या पापा?

लामा शंख बजाते है पापा?

पापा लामाओं को
कंबल ओढ़ कर
अंधेरे में
तेज़-तेज़ चलते हुए देखा है
कभी?

जब लोग मर जाते हैं
तब उनकी कब्रों के चारों ओर
सिर झुका कर
खड़े हो जाते हैं लामा

वे मंत्र नहीं पढ़ते।

वे फुसफुसाते हैं ….तिब्बत
..तिब्बत …
तिब्बत - तिब्बत
….तिब्बत - तिब्बत - तिब्बत
तिब्बत-तिब्बत ..
..तिब्बत …..
….. तिब्बत -तिब्बत
तिब्बत …….

और रोते रहते हैं
रात-रात भर।

क्या लामा
हमारी तरह ही
रोते हैं
पापा?