भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पतझर-2 / अचल वाजपेयी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अचल वाजपेयी |संग्रह=शत्रु-शिविर तथा अन्य कविताएँ }} हर ...) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 7: | पंक्ति 7: | ||
हर दिन | हर दिन | ||
− | सुबह | + | सुबह होते ही |
गुड़ की गंधाती चाय | गुड़ की गंधाती चाय |
23:11, 26 अक्टूबर 2007 का अवतरण
हर दिन
सुबह होते ही
गुड़ की गंधाती चाय
बीमार मेमनों से
रिरियाते बच्चे
खुरदुरे पत्थर पर
घिसती वह औरत
स्वयं को
अस्वीकृत करता वह आदमी
एक पतझर
देर रात तक
लोगों के कान उमेठता है