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"भगवान सिंह 'भास्कर'" के अवतरणों में अंतर

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* [[जान हमरा पर आपन निसार का करी / भगवान सिंह 'भास्कर']]
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<poem>जान हमरा पर आपन निसार का करी
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बश में दोसरा के रहिके करार का करी
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हियरा हहरत रही, मनवा डहकत रही,
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जेके परदेश पिय ऊ सिंगार का करी
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तरसे बदरा नियर ई नयन रात-दिन,
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लाख अइबे करी त सुखार का करी
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जेकरा दिल में लागल आग बिरहा के बा
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ओके पावस के बरखा बहार का करी
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पाती पढ़-पढ़के छाती जरे रात-दिन
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रोज ढ़रकत नयनवा के धार का करी
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जवन सोना रहे सगरो माटी भइल
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केतनो गढ़वइब नौलखा हार का करी
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हम त मर गइलीं बस तोहरा मुसकान पर
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तीर-तलवार-भाला-कटार का करी
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नाव मँझधार में फंस गइल ‘भास्कर’
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जे सहारा ना देब, त पार का करी
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17:24, 1 अक्टूबर 2013 का अवतरण

ग़ज़ल